उपराष्ट्रपति की कुर्सी फिर खाली- चुनाव के लिए तारीख का ऐलान

शालिनी तिवारी
शालिनी तिवारी

जगदीप धनखड़ के इस्तीफे से देश के ‘संवैधानिक सेकंड इन कमांड’ की कुर्सी अब खाली हो चुकी है। और जैसे ही चुनाव आयोग ने अधिसूचना जारी की, कुछ लोग नाश्ते के साथ नामांकन फॉर्म भी लेने निकल पड़े।

चुनाव का टाइमटेबल: याद रखिए, अलार्म लगाइए

  • नामांकन की आखिरी तारीख: 21 अगस्त 2025

  • मतदान की तारीख: 9 सितंबर 2025

  • गिनती और नतीजे: उसी दिन, शाम की चाय के साथ

उपराष्ट्रपति बनने के लिए योग्यता… और थोड़ा ‘जुगाड़’?

अगर आपके पड़ोसी यह दावा कर रहे हैं कि वो भी उपराष्ट्रपति बन सकते हैं, तो पहले यह चेक कर लें:

उपराष्ट्रपति बनने के लिए जरूरी योग्यताएं:

  1. भारत का नागरिक होना चाहिए (डोंट वरी, आधार कार्ड चलेगा)।

  2. उम्र कम से कम 35 साल (ट्विटर अकाउंट होने से बड़ी बात)।

  3. राज्यसभा का सदस्य बनने की पात्रता होनी चाहिए

  4. किसी राज्य या केंद्र सरकार के पद पर लाभ नहीं मिल रहा हो (डबल जॉबिंग नहीं चलेगी!)।

“राष्ट्रपति जी तो व्यस्त रहते हैं, उपराष्ट्रपति ही कॉल उठाते हैं!”

सोशल मीडिया पर यूज़र्स पूछ रहे हैं:

  • “क्या उपराष्ट्रपति बनने के लिए वॉट्सऐप यूनिवर्सिटी से डिग्री मान्य है?”

  • “क्या उपराष्ट्रपति का काम सिर्फ राज्यसभा में ‘Order! Order!’ बोलना है?”

  • “कुर्सी मिले तो Netflix भी फ्री मिलेगा क्या?”

कुछ तो ऐसे भी हैं जो पूछ रहे हैं:

“अगर मैं MLA का MLA हूं तो क्या मेरा नामांकन चलेगा?”

असली भूमिका क्या होती है उपराष्ट्रपति की?

  • भारत के दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक पद पर बैठते हैं।

  • राज्यसभा के सभापति होते हैं।

  • और यदि राष्ट्रपति छुट्टी पर चले जाएं (या इस्तीफा दे दें), तो यही देश चलाते हैं… कुछ समय के लिए।

चुनाव कैसे होता है?

  • वोट डालते हैं सांसद: राज्यसभा + लोकसभा

  • आम जनता को फिर से सिर्फ डिबेट करने का मौका मिलता है

  • जीतता है वही, जिसके पीछे सही गठबंधन का गणित हो (या फिर सही व्हाट्सऐप ग्रुप!)

किन्हें नामांकन भरने की ज़्यादा खुशी है?

  1. रिटायर्ड नेताओं को

  2. गंभीर चेहरा रखने में माहिर नेताओं को

  3. जो खुद को ‘अंडररेटेड राष्ट्रपति मटेरियल’ मानते हैं

  4. और वो जो WhatsApp पर हर दिन लिखते हैं: “अगर मैं होता तो देश बदल देता”

देश को उपराष्ट्रपति चाहिए, लेकिन मज़ाक में मत ले जाइए

संविधान में लिखा गया है कि उपराष्ट्रपति गंभीर पद है। इसलिए मज़ेदार मीम्स बनाएँ, पर असलियत भी जानें। वरना अगली बार कोई “संस्कार बाबा” उपराष्ट्रपति बनने की मंशा लेकर खड़ा हो जाएगा!

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